(1) लग्न को डॉक्टर समझे
(2) सप्तम भाव को बीमारी
(3) दशम भाव को रोगी
(4) चौथे भाव को दवा
यदि प्रश्न लग्न में पाप ग्रह हो तो जिस डॉक्टर से इलाज चल रहा है,उससे लाभ नही होगा।
ऐसी स्थिति में किसी डॉक्टर बदलने की जरूरत होती है।
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यदि दशम भाव मे पाप ग्रह हो तो रोगी आने स्वभाव से ही रोग की व्रद्धि करता है,परहेज नही करता,व्यायाम नही करता इत्यादि।
सप्तम भाव मे पाप ग्रह हो तो एक रोग से अनेक रोगों की बढ़ोतरी हो जाती है।
चौथे भाव मे पाप ग्रह हों तो दवा से ही रोग बढ़ता जाता है।
मुनि जनो ने इसके उपाय के रूप में उस स्थिति को समझ कर ग्रहों की शांति के उपाय बताये है,दान बताया है और सूर्य चिकित्सा में इससे संबंधित इलाज भी बताये है।
रत्न को धारण करने के पीछे क्या राज रहा,इसे आप इसी सूर्य चिकित्सा के आधार पर मनन कर समझ सकते है और जान सकते है कि हमारी वैदिक विज्ञान का स्तर कितना उच्च था।
जय श्री गणेश
जय श्री गुरुदेव।
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