मुहर्त- ज्योतिष जगत में किसी कार्य को करने के लिये दिया जाने वाला शुभ समय ही मुहर्त है।
शादी के लिये शुभ समय,कॉलेज जाने का शुभ समय,कार खरीदने का शुभ समय,इलाज कराने का शुभ समय,व्यापार शुरू करने का शुभ समय,जॉब जोइनिग का शुभ समय,चुनाव में फॉर्म भरने का शुभ समय,मकान बनाने का शुभ समय,दवा लेना का शुभ समय,टेंडर भरने का शुभ समय।
ऐसे ही अनंत कार्य आरम्भ करने के लिये आपकी कुंडली के अनुशार निर्धारित किया जाने वाला शुभ समय,जिसमें विध्न,परेशानी न आये,उस शुभ समय को ज्योतिष जगत में मुहर्त बोला जाता है।
साधारण तय पंडित लोग अमृत सिद्धि ,रवि पुष्य योग आदि के आधार पर मुहर्त देते है।जो कि सभी लोगो को शुभ नही रहता।
माना किसी जातक का घनु लग्न है,तो उसे पुष्य नक्षत्र शुभ फल नही देगा,कारण है उसके लग्न से कर्क राशि अष्टम स्थान में आयेगी, जिसमे पुष्य नक्षत्र आता है।
पुष्य नक्षत्र का स्वभाव बढ़ोतरी का है,वो फिर चाहे लाभ हो या नुकशान।अब ये नक्षत्र किस भाव मे आता है,ये बहुत महत्वपूर्ण है और इसका अध्ययन ज्योतिषी गण ही कर सकते है,ना कि साधारण पंडित जन।
जॉब दो प्रकार की होती है।सरकारी और गैर सरकारी।राजयोग ओर नीच भंग राजयोग से सरकारी उपक्रमो से लाभ का निर्देश कुंडली मे देखा जाता है।
ऐसे ही 2/6/10 भाव के लिंकेज के आधार पर जॉब के बारे में कुंडली संकेत देती है।
दशा भुक्ति उस काल का निर्धारण करती है कि जॉब किस दशा में पर्याप्त होगी।
शादी जीवन की एक प्रमुख घटना है,जो पूरे जीवन को प्रभावित करती है।शादी कब होगी,शादी के बाद जीवन सुखी रहेगा,या नही।किस दिशा में शादी के योग है।दोनों की कुंडली मिलान के आधार पर तय किया जाता है।
बिजनिस जीवन का एक बेहद जरूरी अंग है।जातक व्यवसाय में सफल होगा या नही,कोनसा व्यवसाय लाभदायक रहेगा और किस दशा में व्यवसाव को लाभ या नुकशान होगा।जन्म स्थान में लाभ होगा या किसी दूर स्थान से लाभ होगा।
ऐसे ही बहुत से सवालों का जवाब ज्योतिष माध्यम से दिया जाता है।
ज्योतिष विज्ञान के आधार पर निफ़्टी 50 ओर बैंक निफ़्टी की तेजी मंदी भी बताई जाती है।जातक की कुंडली के आधार पर चल रही दशा से पता चलता है कि मार्केट से लाभ होगा या नुकशान।